लेखनी कहानी -20-Nov-2021
कुछ भी नही साथ ले जाना है।
फिर भी सब को अकड़ दिखाना है।
कभी फुर्सत मिले तो फुर्सत में सोचना,
एक दिन सबको अकड़ कर जाना है।
काया नहीं छूटती तन से हमारे।
छाया नहीं छूटती वन से हमारे।
ये रोशनी उजाला तो, बस छलावा है,
माया नहीं छूटती मन से हमारे।
कुमार आनन्द